यदि जानना है तो .........
हंसना क्या होता है
यह जानना हो तो
किसी मसखरे से पूछो
बाकी लोग तो बस
यूँही हँस लिया करते
हैं .
मुस्कान की थाह लेनी
है
तो उस रिसेप्शनिस्ट
से जानें
जिसके जबडों में
मुस्कराते रहने की
जद्दोजेहद में
गठिया हो जाता है .
नग्नता का मर्म
जानना है
तो उस कामगार महिला से जानो
जो दिन भर काम पर लगे होने के बाद भी
तन को ढंग से ढांपने लायक
कपड़े नहीं जुटा पाती है .
मौन की भाषा को
जानना है
तो झांक लो
उन लाचार आँखों में
जिन्होंने अभी तक हर
हाल में
सच बोलने की जिद
नहीं छोड़ी है .
कविता का मर्म जानना
हो
तो उसे कागजों से
निकाल
रूह तक ले जाओ
कविता की मासूम भाषा
में
उम्मीद अभी तक
जिन्दा लफ्ज़ है .
जिंदगी का मर्म
जानना है
तो मौत की दहलीज़ तक टहल
आओ
इसे ऐसे सपने की तरह
जियो
जो कच्ची नींद में
टूट भी जाये
तो मन कतई मायूस न हो .
नए शब्द नए भावार्थ
गढते हुए
सब खुद –ब –खुद पता
चलता है
बहती नदी की गति को
किसी तस्दीक की
जरूरत नहीं
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें