अतीत और इतिहास
हमारे पास कोई इतिहास नहीं
कुछ कपोल कल्पित दंतकथाएँ हैं
लिया दिया सा छिछोरा वर्तमान
है
लेकिन हाँ ,कुछ खूबसूरत ख्वाब
जरूर हैं
जिनके साकार होने के लिए
कोई शर्त नत्थी नहीं ।
वैसे होने के नाम पर इतिहास
काली जिल्द में बंधा
काली जिल्द में बंधा
कागजी कतरन का पुलिंदा है
मनगढ़ंत गल्प का बेतरतीब सिलसिला है
मसख़रों द्वारा गाये गए शोकगीत
हैं
चक्रवर्ती सम्राटों के हरम
से आती
नाजायज़ संतति की सुबकियाँ हैं।
हम हैं और यदि यह बात भरम नहीं
तो
यह मान लेने में कोई हर्ज नहीं
अतीत भी कहीं न कहीं
वक्त के किसी गुमनाम कोने में
पैरों को पेट में छुपाए
इधर या उधर पड़ा होगा ही
पर अतीत और इतिहास में बड़ा
फर्क होता है।
इतिहास केवल बीता हुआ वह कालखंड
नहीं
जिस पर दर्ज हो जिस तिस की
देह पर लगे घाव
भूख से बिलखते लोगों की कराह
इस उसके खिलाफ की गयी
कानाफूसी जैसी साजिशें
गर्दन कटने से ठीक पहले
जल्लाद को दी गयी बददुआयेँ।
जिंदा क़ौमों का इतिहास
कभी कोई नहीं लिखता
न किसी ने आज तक यह जुर्रत
की
उनके आज की बही के शानदार पन्ने
अतीत से लेकर भविष्यकाल तक
हमेशा बेसाख्ता फड़फड़ाते हैं।
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