शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

मेरठ: एक समय ऐसा भी गुजरा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मोची राम

लड़कियों के खवाब  कोई कहीं घुमाती होगी सलाई रंगीन ऊन के गोले बेआवाज़ खुलते होंगे मरियल धूप में बैठी बुनती होगी एक नया इंद्रधनुष. लड़कियां कितनी...