जब हम .......
जब हम ब्रेड के स्लाईस पर
मक्खन की परत लपेट कर
उसे धीरे धीरे कुतरते हुए
पिंजरे में फंसे चूहे से दिख रहे होते हैं
उस वक्त ब्रह्माण्ड के किसी कोने में
कोई रानी अपनी भूखी प्रजा का
रोटी के बजाय
केक खाने का परामर्श देती है .
जब हम पुराने अख़बारों के हाशियों पर
क्रांति का रोडमैप और
औरत की नंगी तस्वीर बनाते हैं
रद्दी खरीदने वाला
कागज की फिजूलखर्ची
और हमारे मसखरेपन की खिल्ली उड़ाता
बगल की गली से गुजरता है .
क्रांति का रोडमैप और
औरत की नंगी तस्वीर बनाते हैं
रद्दी खरीदने वाला
कागज की फिजूलखर्ची
और हमारे मसखरेपन की खिल्ली उड़ाता
बगल की गली से गुजरता है .
जब हम दिनभर की बकझक के बाद
थके हुए जबडों के साथ
अपनी अँधेरी गुफाओं में
प्रवेश करते हुए सहमते हैं
तब वहीं कहीं छिप कर बैठा गीदड़
हमारे खुद-ब-खुद मर जाने का सपना
कच्ची नींद में देखता है .
थके हुए जबडों के साथ
अपनी अँधेरी गुफाओं में
प्रवेश करते हुए सहमते हैं
तब वहीं कहीं छिप कर बैठा गीदड़
हमारे खुद-ब-खुद मर जाने का सपना
कच्ची नींद में देखता है .
जब जीवनदायनी मकसद की नदी
भरी बरसात में रीतने लगती है
और हम जा छुपते हैं
सूखे भूसे जैसी कविताओं के ढेर में बनी
दीमकों की बाम्बी में
तब चकमक पत्थर में ठहरी चिंगारी को
आग़ में तब्दील होने की वजह मिलती है .
भरी बरसात में रीतने लगती है
और हम जा छुपते हैं
सूखे भूसे जैसी कविताओं के ढेर में बनी
दीमकों की बाम्बी में
तब चकमक पत्थर में ठहरी चिंगारी को
आग़ में तब्दील होने की वजह मिलती है .
जब छाया युद्ध लड़ने में निष्णात कायर
यशस्वी योद्धा का बाना धारण कर
इतिहास के गलीच पन्नों में से
अपने लिए प्रभामंडल
और राजमुकुट ढूंढ लाते हैं
तब भूख से बेचैन गिद्धों को
महाभोज की भनक मिलती हैं .
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यशस्वी योद्धा का बाना धारण कर
इतिहास के गलीच पन्नों में से
अपने लिए प्रभामंडल
और राजमुकुट ढूंढ लाते हैं
तब भूख से बेचैन गिद्धों को
महाभोज की भनक मिलती हैं .
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