बाहर आते ही .....
वह अभी अभी बाहर आया
है
घरवालों से मिले
उलहानों को
सलीके से तह बना कर
रुमाल के साथ जेब के
हवाले करता
कायदे से तो वह रोना
चाहता है
पर वह ढूंढता है
तेज हवा का ऐसा
झोंका
जो उड़ा ले जाये उसकी
सारी नादानियाँ .
वह अभी अभी बाहर आया
है
एक अदद नीम हकीम को
तलाशता
जो उसके सपनों को
स्मृति से मिटाने
वाला रबर देदे
वह सपनों से इस कदर
डर चुका है
कि नींद को आते देख
भाग खड़ा होता है.
वह अभी अभी बाहर आया
है
काली जिल्द वाली
पुरानी डायरी
अपनी कांख में दबाए
जिसमें उसने सहेज रखें हैं
संभावित प्रेमिकाओं को
लिखे जाने वाले
प्रेम पत्रों के आधे
अधूरे ड्राफ्ट
जिन्हें उसने या तो कविता समझा हुआ है .
या हर मर्ज के इलाज की संजीवनी बूटी .
वह अभी अभी बाहर आया
है
घर से भाग कर भागते
भागते
बहुत दूर निकल जाने की
चाह लिए
लेकिन एक कदम दौड़े
बिना
चुहचुहा रहा है
पसीना उसके माथे पर
वह दौड़ना तो चाहता
है लेकिन
उसके पैरों को खरामा
खरामा
चलने की आदत है .
वह अभी अभी बाहर आया
है
मुहँ को साफ़ करने
की जरूरत को
शिद्दत से महसूस करता
उसकी जेब में रुमाल जैसा
रुमाल है
फर्जी उम्मीदों के
इत्र में डूबा
उलहानों को अपने में
समेटे
वह अपने बेनूर चेहरे
को लिए
कहीं चले जाने से
कतरा रहा है.
वह अभी अभी बाहर आया
है
सोच रहा है कि डायरी
में दर्ज कर ले
कहीं कुछ कर गुजरने
से पहले
कविताओं जैसी कुछ
अस्फुट पंक्तियाँ
जो सदियों से लिखी जाती रही हैं
ताकि सनद बनी रहे
और वक्त जरूरत काम
आये .
वह अभी अभी बाहर आया
है
उसके मन और पैर ने
अभी से मचलना शुरू
कर दिया है
घर वापस जाने के लिए
.
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