साठ पार का आदमी
साठ पार के आदमी को
घुटने मोड़ कर चारपाई पर बैठे रहना चाहिए
उठते बैठते हर बार
जोर से कराहना चाहिए
फूल तितली खुशबु और प्यार की बात
मन ही मन बुद्बुदाना निषेध है. .
घुटने मोड़ कर चारपाई पर बैठे रहना चाहिए
उठते बैठते हर बार
जोर से कराहना चाहिए
फूल तितली खुशबु और प्यार की बात
मन ही मन बुद्बुदाना निषेध है. .
उसे अतीत की चादर को कस कर जिस्म से
हरदम लपेटे रहना चाहिए
उसकी देह से पसीने और उदासी की गंध
हर समय आनी चाहिए
गमन की भविष्यवाणी करनी चाहिए’
रोज मौसम विभाग की तरह.
हरदम लपेटे रहना चाहिए
उसकी देह से पसीने और उदासी की गंध
हर समय आनी चाहिए
गमन की भविष्यवाणी करनी चाहिए’
रोज मौसम विभाग की तरह.
उसे अपने अंतिम क्षणों का रिहर्सल
नियमित रूप से करना चाहिए
लोगों को हरदम यकीन दिलाना चाहिए
कि बस कुछेक दिन की बात और है
उसे करनी चाहिए
जीने से अधिक
सिर्फ मरने की फ़िक्र.
नियमित रूप से करना चाहिए
लोगों को हरदम यकीन दिलाना चाहिए
कि बस कुछेक दिन की बात और है
उसे करनी चाहिए
जीने से अधिक
सिर्फ मरने की फ़िक्र.
उसे हर उबासी के साथ दोहराना चाहिए
प्रभु बहुत हुआ अब तो उठा ही ले
फिर सहमते हुए आसमान की ओर देखना चाहिए
कहीं आसमान के कान तो नहीं उग आये
प्रार्थनाओं को करते हुए
इस कदर जल्दबाज़ी करना ठीक नहीं.
प्रभु बहुत हुआ अब तो उठा ही ले
फिर सहमते हुए आसमान की ओर देखना चाहिए
कहीं आसमान के कान तो नहीं उग आये
प्रार्थनाओं को करते हुए
इस कदर जल्दबाज़ी करना ठीक नहीं.
साठ की दहलीज लांघते हुए
जोड़ घटा का अंकगणित भूल जाना चाहिए
जिस्म को छोड़ देना चाहिए अकेला
हर बात पर बेबसी की नुमाइश करते हुए
इस तरह हंसना चाहिए
कि वजह का सुराग तक किसी को न मिले.
जोड़ घटा का अंकगणित भूल जाना चाहिए
जिस्म को छोड़ देना चाहिए अकेला
हर बात पर बेबसी की नुमाइश करते हुए
इस तरह हंसना चाहिए
कि वजह का सुराग तक किसी को न मिले.
साठ पार के आदमी को
कायदे से तो किसी कौए की तरह
उतर जाना चाहिए निर्जन बियाबान में
जहाँ आवाजें खो जाती हों
द्रुम लताओं की गहराइयों में
पत्तियां हवा के झोंकें में भी सरसराती न हो.
कायदे से तो किसी कौए की तरह
उतर जाना चाहिए निर्जन बियाबान में
जहाँ आवाजें खो जाती हों
द्रुम लताओं की गहराइयों में
पत्तियां हवा के झोंकें में भी सरसराती न हो.
साठ पार गया आदमी
कोई अलार्म घड़ी नहीं रखता
यदि होती भी है तो
वह उसके जाग जाने के बाद बजती है
कलगी वाला मुर्गा बांग देने के मामले में
उससे रोज हार जाता है.
कोई अलार्म घड़ी नहीं रखता
यदि होती भी है तो
वह उसके जाग जाने के बाद बजती है
कलगी वाला मुर्गा बांग देने के मामले में
उससे रोज हार जाता है.
उसके हर कथोपकथन में होती हैं
निजी जीवन से जुड़ी
झूठ से लबरेज शौर्य गाथाएं
जिनका पुनर्पाठ करते
वह कभी नहीं थकता
कंठस्थ कर लेता है.
निजी जीवन से जुड़ी
झूठ से लबरेज शौर्य गाथाएं
जिनका पुनर्पाठ करते
वह कभी नहीं थकता
कंठस्थ कर लेता है.
साठोत्तर का आदमी
दरअसल बड़ा शातिर होता है
उम्र भर एकत्रित की गयी चालाकियों का
बखूबी इस्तेमाल करता है
हर जरूरी गैर जरूरी बात पर
बेवजह बेआवाज़ सुबकता है.
दरअसल बड़ा शातिर होता है
उम्र भर एकत्रित की गयी चालाकियों का
बखूबी इस्तेमाल करता है
हर जरूरी गैर जरूरी बात पर
बेवजह बेआवाज़ सुबकता है.
वह बड़ी शिद्दत से
वक्त के सरोंते से
काट पाता है एक एक दिन को
कठा सुपारी की तरह.
अपना पूरा नाम और
असल उम्र बताने में हकलाता है.
वक्त के सरोंते से
काट पाता है एक एक दिन को
कठा सुपारी की तरह.
अपना पूरा नाम और
असल उम्र बताने में हकलाता है.
साठ पार का आदमी वक्त रहते
निश्ब्द्ता के आरपार चला जाना चाहता है.
निश्ब्द्ता के आरपार चला जाना चाहता है.
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