चंद छोटी -छोटी कविताएँ
कोई कहीं
घुमाती होगी सलाई
रंगीन ऊन के गोले
बेआवाज़ खुलते होंगे
मरियल धूप में बैठी
वह बुनती होगी
एक नया इंद्रधनुष
घुमाती होगी सलाई
रंगीन ऊन के गोले
बेआवाज़ खुलते होंगे
मरियल धूप में बैठी
वह बुनती होगी
एक नया इंद्रधनुष
यह लड़कियां
कितनी आसानी से उचक कर
पलकों पर टांग लेती हैं
सतरंगे ख्वाब।
कितनी आसानी से उचक कर
पलकों पर टांग लेती हैं
सतरंगे ख्वाब।
कविता -2
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