तितली जैसी .....

उसके होठों के नीचे 
तितली हमेशा बैठी मिली 
वह तानाशाह कहाँ छुपाये रहा 
उम्र भर अपना प्यार 
और खिला हुआ 
मकरंद से भरा गुलाब.

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