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यह जानना हो तो

आषाढ़ की तपती दोपहरी में लिखी कविता

एक कविता उस सनबर्ड के लिए जिसे मैंने हमिंग बर्ड समझा

साइकिल पर टंगी ढोलक

रेहन पर बीमार बूढ़ा