बीतता वक्त
प्यार को लेकर सदा
संशय रहा
प्रार्थना के लिए न
मिले उपयुक्त शब्द
उधार लिया आनन्द कब
रीता पता न चला
साइकिल चलाना सीखते
सीखते
हैडल से हाथ हटा
देखने लगा
पता नहीं कब अजब अश्लील सपने.
बचपन उहापोह में
बीता
कैशोर्य आशंकाओं में
व्यतीत हुआ
जवानी रीती मायूसी में
कहीं कुछ उल्लेखनीय न घटित हुआ
अपना नाम ऐसे
किसी दुर्दांत
अपराधी का नाम लिया.
जीवन की सांध्य बेला
में
भावुकता का आग्रह है
कि
बीते वक्त को
तिलांजलि दे
बंधुजनों से कहा
जाये
जाओ लौट जाओ अपने
अकेलेपन में
चलो, हम ख़ुद से देर तक
बतियायें.
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