रात की बात

 

 


रात घिर आई  

बाहर चांदनी छिटकी हुई है

चाँद वैसा ही जैसा हुआ करता  

दिन भर खूब डर लिए

अपने डर से लोगों को खूब डरा दिया.

 

अब बस भी करो ....

कच्ची नींद में जग जाने की वजह से

अधूरे रह गए सपनों को नए सिर से देखें ..

सुबह जब होगी तब होगी .

 

रात के एक एक पल को ठीक से जी लें

रात हमेशा सनसनीखेज नहीं होती

बेहद शांत और सहृदय भी होती है .

कल जो होगा देखा जायेगा.

 

फ़िलहाल आज को

उसकी तात्कालिकता में तो महसूस कर लें .

 

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