कैमरे की जद में करियर


 

फोटोग्राफ एक क्षण है-शटर दबाने के बाद, वह कभी लौटकर नहीं आता - रेने बरी

वह वहां खड़ा है कैमरा हाथ में थामे

शमशान में सीली हुई लकड़ियों से उठते धुंए को फोकस करता

अग्निशिखा के पार छज्जे पर खड़ी एक किशोरी

अपने भारी भरकम भाई को गेंद की तरह उछालती लपकती

उसके कैमरे के लेंस और दृष्टि की परिधि में है

हो सकता है एक दिन वह रघु राय जैसा

कोई नामवर फ़ोटोग्राफ़र बन जाये।

 

वह रोजाना यहाँ आ डेरा जमाता है आजकल

एक एक चिता की तफ़सील कैद करता

अपने उसी डिजिटल कैमरे में

जिसमें वह कभी अपने होंठ चबाता

दर्ज करता फिरता था किसी सुडौल मॉडल की देह के

प्रत्येक चक्रवात की हर बारीकी को सिलसिलेवार।

 

अख़बार के बाज़ार  में इन दिनों

मुर्दाखोर परिंदों, कीटों और धधकते शोलों की बड़ी डिमांड है

खौफ़ की मंडी  भयावह तस्वीरों से अंटी  है

सम्प्रति सुहाने सपनों का कोई तलबगार नहीं

मौत के पैने पंजे से बच निकलने के लिए

देशज नीमहकीमी नुस्खों की भरमार हैं।

 

चा रहा  तो सुनहरे फ्रेम में जड़वा लेगा

सीना फुलाए योद्धा होने की प्रतीति देती निजी छवि

सच भले ही वक्त में बिला जाये

नयनाभिराम झूठ प्राय कालजयी होता है।

 

शमशान में कैमरा हाथ में लिए निर्लिप्त खड़ा वह

खटाखट उतार रहा है तस्वीरें

उसके मन के भीतर करियर का ग्राफ

भर रहा है कुलांचे

नैराश्यपूर्ण माहौल में

वह मन ही मन रॉबर्ट कापा* बनने का

दुर्लभ सपना देख रहा है।


#हंगरी में जन्मे अमरीका में पले बढे रॉबर्ट कापा शुरुआती दौर के उन दुर्लभ फोटोग्राफरों में सबसे प्रमुख हैं जिन्होंने युद्ध की विभीषिका को अपना विषय बनाया। 

 

 

 

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