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वक्त की रेत

बीतता वक्त

मेज़ पर रखा सफ़ेद हाथी

मेरे पास...

पापाजी नहीं रहे

समय की बोधकथा

एक निठल्ली दोपहर में लिखा कविता जैसा कुछ