मेरी कविता में
मैं अपनी कविता में
कभी किसी को नहीं बुलाता
मेरी कविता में
कोई सायास नहीं आता .
इसमें जिसे आना होता है
वह आ ही जाता है
अनामंत्रित .
जैसे कोई मुसाफिर आ बैठे
किसी पेड़ के नीचे
उसके तने से टिककर
बेमकसद ,लगभग यूंही .
बैठा रहे देर तक
अपनी ख़ामोशी को कहता सुनाता .
मेरी कविता में
डरे हुए परिदों और
मायूस बहेलियों के लिए
कोई जगह ही नहीं है
पर अँधेरे में दिशा भूला
हर कोई यहाँ आ कर
बना लेता है अपना बसेरा . .
मेरी कविता में
किसी की कोई शिकायत
आद्र पुकार या चीत्कार
या मनुहार कभी दर्ज नहीं होती
इसके जरिये वशीकरण का
कोई काला जादू भी नहीं चलता
यह किसी को कुछ नहीं देती
न कुछ मांगती है .
लेन देन इसे नहीं आता .
मेरी कविता में
कुटिल मसखरे अपनी ढपली
अपना राग लेकर नहीं आते
न छद्म वीरता का परचम लहराते
योद्धाओं के लिए इसमें जगह है .
इसमें कोई मस्त मलंग जब चाहे
अपनी धुन में गाता गुनगुनाता
जब चाहे तब आ सकता है .
मेरी कविता में
इतिहास में रखे
नृशंस राजाओं के ताबूतों को
सजाने के लिए जगह नहीं
अनाम फकीरों की
गुमशुदा आवाजों को सुनने के लिए
इसके कान तरसते रहते हैं . .
मेरी कविता में
ऐसा बहुत कुछ है
जो है परंपरागत समझ से बाहर
पर ऐसे सच के आसपास .
जिसे स्वीकारने में
समय का सरपट भागते घोड़े
अक्सर ठिठक जाते हैं .
समय का सरपट भागते घोड़े
अक्सर ठिठक जाते हैं .
कोई माने या न माने
मेरी कविता और मेरी जिंदगी में
बित्ते भर का भी फर्क नहीं है .
...ऐसी कविता से मिलना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंउसे अपनी बाहों में भरना चाहता हूँ
मैं भी जीना चाहता हूँ!!
सोच में डूबा हुआ हूँ जल्दबाजी कुछ नहीं है
जवाब देंहटाएंये कविता एक समंदर भाव गहरा, कम नहीं है
जिंदगी कम है हमारी और काम ज्यादा बहुत हैं
मैं कविता को जिऊंगा,काम ये भी कम नहीं है .
बेहद खूबसूरत....
जवाब देंहटाएंमेरी जिंदगी एक कविता सी.....या कविता मेरे जीवन जैसी....
अनु
संतोष त्रिवेदी ,मधुर जी ,अनु आप सभी का हार्दिक आभार .
जवाब देंहटाएं