वायदा माफ गवाह
बच्चे पानी में खेल रहे हैं
उलीच रहे हैं
अंजुरी भर भर एक दूसरे पर पानी
उनके इस खेल में
पानी से भरा तालाब भी
उनके साथ है .
वह भी खिलखिला रहा है
बच्चों के साथ .
पानी में रहने वाली
मछली बेचैन है
उसे कभी नहीं भायी
बच्चों की यह खिलंदड़ी
उनके लिए होगा
पानी एक खेल
मछली के लिए तो यही है
जीवन की एकमात्र संभावना .
तालाब तो सबके साथ है
बच्चों के खेल में भी
मछली की आशंका में भी
भीतर के पानी में
जब -तब उठने वाली तरंगों में भी .
तालाब की पक्षधारिता एकदम सपाट है
उसके पानी की तरह पारदर्शी ,निष्कलंक और बेलौस
उसे तो खेलते हुए बच्चे भी अच्छे लगते हैं
पानी में अपना घर बसाये मछलियाँ भी
सभी उसके अपने हैं
वह कभी किसी को मायूस नहीं करते .
तालाबों में तब तक खिलते रहेंगे
अजस्र जीवनदायनी ऊर्जा के प्रतीक पुष्प
जब तक वह है जीवन की
हर संभावना और आशंका का
वायदा माफ गवाह .
उलीच रहे हैं
अंजुरी भर भर एक दूसरे पर पानी
उनके इस खेल में
पानी से भरा तालाब भी
उनके साथ है .
वह भी खिलखिला रहा है
बच्चों के साथ .
पानी में रहने वाली
मछली बेचैन है
उसे कभी नहीं भायी
बच्चों की यह खिलंदड़ी
उनके लिए होगा
पानी एक खेल
मछली के लिए तो यही है
जीवन की एकमात्र संभावना .
तालाब तो सबके साथ है
बच्चों के खेल में भी
मछली की आशंका में भी
भीतर के पानी में
जब -तब उठने वाली तरंगों में भी .
तालाब की पक्षधारिता एकदम सपाट है
उसके पानी की तरह पारदर्शी ,निष्कलंक और बेलौस
उसे तो खेलते हुए बच्चे भी अच्छे लगते हैं
पानी में अपना घर बसाये मछलियाँ भी
सभी उसके अपने हैं
वह कभी किसी को मायूस नहीं करते .
तालाबों में तब तक खिलते रहेंगे
अजस्र जीवनदायनी ऊर्जा के प्रतीक पुष्प
जब तक वह है जीवन की
हर संभावना और आशंका का
वायदा माफ गवाह .
वायदा माफ गवाह ही कहना चाहिए
जवाब देंहटाएंपर जिक्र उस कालियानाग का करना भूल गए
जिस पर चढ़कर कन्हैया पाताल में कूद गए
ले आए उठाकर बाल
बाल वही उछली
बन गई है कविता
पानी में मछली
मन में विचारों की तरंग
सबके अनेक नेक हैं रंग।