हस्तिनापुर के सैनिक
हस्तिनापुर से गये थे सैनिक
कुरुक्षेत्र के मैदान में
वहां जाने का मकसद और
जिंदा बचे रहने की उम्मीद लिए बिना
हालंकि उन्होंने तब तमाम मनाहियों के बावजूद
सपने देखने स्थगित नहीं किये थे.
कुरुक्षेत्र के मैदान में
वहां जाने का मकसद और
जिंदा बचे रहने की उम्मीद लिए बिना
हालंकि उन्होंने तब तमाम मनाहियों के बावजूद
सपने देखने स्थगित नहीं किये थे.
हस्तिनापुर से गए थे सैनिक
अस्त्र शस्त्र और ढोल नगाड़े लिए
जिनकी उपयोगिता के बारे में
वे सिरे से थे अनभिज्ञ
उनके भीतर बलबला रही थी
मासूमियत से भरी राजभक्ति.
अस्त्र शस्त्र और ढोल नगाड़े लिए
जिनकी उपयोगिता के बारे में
वे सिरे से थे अनभिज्ञ
उनके भीतर बलबला रही थी
मासूमियत से भरी राजभक्ति.
हस्तिनापुर से गए थे सैनिक
अपने बीवी बच्चों को उम्मीद दिलाकर
कि वे जल्द लौट आयेंगे वहां से
विजयघोष करते ध्वजा फहराते
उन्होंने यह सब कहने को कहा था
उनको मालूम नहीं था वापसी का रास्ता.
अपने बीवी बच्चों को उम्मीद दिलाकर
कि वे जल्द लौट आयेंगे वहां से
विजयघोष करते ध्वजा फहराते
उन्होंने यह सब कहने को कहा था
उनको मालूम नहीं था वापसी का रास्ता.
हस्तिनापुर से गए थे सैनिक
अपने राजा की शान की खातिर
वे वहां धर्म ,और मर्यादा की व्याख्या
सुनने के लिए नहीं आये थे
सारथी कृष्ण ने धनुर्धर पार्थ से क्या कहा
उन्हें उसका कुछ पता नहीं.
अपने राजा की शान की खातिर
वे वहां धर्म ,और मर्यादा की व्याख्या
सुनने के लिए नहीं आये थे
सारथी कृष्ण ने धनुर्धर पार्थ से क्या कहा
उन्हें उसका कुछ पता नहीं.
हस्तिनापुर से सैनिक खुद –ब-खुद नहीं गए थे
ले जाए गए थे जबरिया हांक कर
उनको तो वहां मरना ही था अंतत:
उनके पास न तो कर्ण जैसे कवच कुंडल थे
न इच्छा मृत्यु का वरदान
न सुदर्शन चक्र ,न कुटिलता का कौशल.
ले जाए गए थे जबरिया हांक कर
उनको तो वहां मरना ही था अंतत:
उनके पास न तो कर्ण जैसे कवच कुंडल थे
न इच्छा मृत्यु का वरदान
न सुदर्शन चक्र ,न कुटिलता का कौशल.
हस्तिनापुर से गए सैनिकों के बारे में
इससे अधिक किसी को नहीं पता
अलबत्ता रजवाड़ों की भव्य वापसी के किस्से
हर किसी ने खूब सुने हैं .
इससे अधिक किसी को नहीं पता
अलबत्ता रजवाड़ों की भव्य वापसी के किस्से
हर किसी ने खूब सुने हैं .
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