ईद : कुछ शब्द चित्र
ईद आई है बड़ी मन्नतों के
बाद
बारिश आ गई बिन बुलाए
कभी कभी खुशियों के संग
कौन कौन आ जाता है .
बारिश आ गई बिन बुलाए
कभी कभी खुशियों के संग
कौन कौन आ जाता है .
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मैंने कहा ईद मुबारक
उसने अचकचा के देखा
कभी कभी मौहब्बत भी
मज़हब पूछती है
उसने अचकचा के देखा
कभी कभी मौहब्बत भी
मज़हब पूछती है
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इतनी सारी मुबारकबाद
इन्हें कहाँ रखूं सहेज कर
कभी कभी दिल भी
कितना छोटा पड़ जाता है .
इन्हें कहाँ रखूं सहेज कर
कभी कभी दिल भी
कितना छोटा पड़ जाता है .
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माँ हर बरस देती थी
हमें ईद पर ईदी
कभी कभी माओं से
कोई उनका धर्म नहीं पूछता .
हमें ईद पर ईदी
कभी कभी माओं से
कोई उनका धर्म नहीं पूछता .
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मैंने कहा चाँद निकल आया
है
माँ खामोश रही
कभी कभी खुशखबरी भी
कितना उदास कर जाती है
माँ खामोश रही
कभी कभी खुशखबरी भी
कितना उदास कर जाती है
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अम्मी चली गई
हामिद का चिमटा रसोई में है
कभी कभी ईदगाह की
रसोई को हरदम याद आती है .*
*प्रेमचन्द की कहानी ईदगाह को याद करते हुए
हामिद का चिमटा रसोई में है
कभी कभी ईदगाह की
रसोई को हरदम याद आती है .*
*प्रेमचन्द की कहानी ईदगाह को याद करते हुए
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ईद आती है तो खुशियाँ
सेवैय्यों के साथ आ जाती हैं
कभी कभी ईद भी
दीवाली सी हो जाती है .
सेवैय्यों के साथ आ जाती हैं
कभी कभी ईद भी
दीवाली सी हो जाती है .
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एक घर में खुशियाँ हैं
दूसरे में मुफलिसी
कभी कभी खाली बर्तनों में ईद
उदास धुन की तरह बजती है .
दूसरे में मुफलिसी
कभी कभी खाली बर्तनों में ईद
उदास धुन की तरह बजती है .
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