ईद : कुछ शब्द चित्र

ईद आई है बड़ी मन्नतों के बाद 
बारिश आ गई बिन बुलाए 
कभी कभी खुशियों के संग 
कौन कौन आ जाता है .
+++
मैंने कहा ईद मुबारक 
उसने अचकचा के देखा 
कभी कभी मौहब्बत भी 
मज़हब पूछती है 
+++
इतनी सारी मुबारकबाद
इन्हें कहाँ रखूं सहेज कर
कभी कभी दिल भी
कितना छोटा पड़ जाता है .
+++
माँ हर बरस देती थी 
हमें ईद पर ईदी 
कभी कभी माओं से 
कोई उनका धर्म नहीं पूछता .
+++
मैंने कहा चाँद निकल आया है 
माँ खामोश रही 
कभी कभी खुशखबरी भी 
कितना उदास कर जाती है
+++
अम्मी चली गई
हामिद का चिमटा रसोई में है
कभी कभी ईदगाह की
रसोई को हरदम याद आती है .*

*
प्रेमचन्द की कहानी ईदगाह को याद करते हुए
+++
ईद आती है तो खुशियाँ 
सेवैय्यों के साथ आ जाती हैं
कभी कभी ईद भी 
दीवाली सी हो जाती है .
+++
एक घर में खुशियाँ हैं 
दूसरे में मुफलिसी 
कभी कभी खाली बर्तनों में ईद 
उदास धुन की तरह बजती है .


.
Top of Form




टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट