सुबह :कुछ शब्द चित्र
कल रात सोया नहीं
सुबह फिर भी हसीन है .
कभी कभी अलस्सुबह
उम्मीदें भी जाग जाती हैं .
सुबह फिर भी हसीन है .
कभी कभी अलस्सुबह
उम्मीदें भी जाग जाती हैं .
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मैं मुहँ अँधेरे बना लेता हूँ
बिना दूध चीनी वाली चाय
कभी कभी कड़वाहट से आती है
चाशनी भरी सुबह .
बिना दूध चीनी वाली चाय
कभी कभी कड़वाहट से आती है
चाशनी भरी सुबह .
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मंदिर में होती आरती
मस्जिद से उठती अज़ान
कभी कभी सुबह
बिना मुहँ धोए ही आ जाती है .
मस्जिद से उठती अज़ान
कभी कभी सुबह
बिना मुहँ धोए ही आ जाती है .
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ईद और हरियाली तीज
दोनों साथ साथ होंगी
कभी कभी मेहँदी
हर हाथ पर फबती है .
दोनों साथ साथ होंगी
कभी कभी मेहँदी
हर हाथ पर फबती है .
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अभी अभी बारिश थमी है
चल काम पर चल
कभी कभी दुनियादारों को भी
रेनी डे की याद आती है .
चल काम पर चल
कभी कभी दुनियादारों को भी
रेनी डे की याद आती है .
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मेरा मित्र रोज भेजता है एसएमएस से
गुड मार्निंग में लिपटी सुबह
कभी कभी जब संदेसा नहीं आता
मुझे सुबह के वजूद पर शक होता है .
गुड मार्निंग में लिपटी सुबह
कभी कभी जब संदेसा नहीं आता
मुझे सुबह के वजूद पर शक होता है .
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वह आ जाये घर
तब बरस लेना जी भर के
कभी कभी बारिश से
हम कितनी मिन्नतें करते हैं
तब बरस लेना जी भर के
कभी कभी बारिश से
हम कितनी मिन्नतें करते हैं
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