कभी कभी : आजादी को याद करते हुए
विश्वविजयी तिरंगा प्यारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा
कभी कभी गाते गाते
आँखे डबडबा क्यों आती हैं ?
झंडा ऊँचा रहे हमारा
कभी कभी गाते गाते
आँखे डबडबा क्यों आती हैं ?
+++
उसने कहा वंदेमातरम
फिर सहम के चारों ओर देखा
कभी कभी वंदना करता आदमी
इतना डर क्यों जाता है .
फिर सहम के चारों ओर देखा
कभी कभी वंदना करता आदमी
इतना डर क्यों जाता है .
+++
ताजे फूल ,तिरंगा ,डंडा
,रस्सी ,लड्डू
सारे इंतजाम मुकम्मल हैं
कभी कभी फिर भी लगता है
सब कुछ बहुत अधूरा है .
सारे इंतजाम मुकम्मल हैं
कभी कभी फिर भी लगता है
सब कुछ बहुत अधूरा है .
+++
देशभक्ति का तराना
गाते हुए
उसके कमर पर काट रही हैं चींटियाँ
कभी कभी चींटियाँ भी
झूठ बर्दाश्त नहीं कर पातीं .
उसके कमर पर काट रही हैं चींटियाँ
कभी कभी चींटियाँ भी
झूठ बर्दाश्त नहीं कर पातीं .
+++
तड़के प्रभात फेरी में गया
फिर चौक पर झंडा फहराया
कभी कभी बेचारा मन
जाने किन ख्यालों में खो जाता है .
फिर चौक पर झंडा फहराया
कभी कभी बेचारा मन
जाने किन ख्यालों में खो जाता है .
+++
जश्ने -आज़ादी का मौका है
तमाम फूलों को बींध रही हैं सुईयां
कभी कभी हंसी खुशी में
अंगुलियां लहुलुहान हो जाती हैं .
तमाम फूलों को बींध रही हैं सुईयां
कभी कभी हंसी खुशी में
अंगुलियां लहुलुहान हो जाती हैं .
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें