शनिवार, 15 नवंबर 2014

सच से भी ज्यादा

  
मुझे किसी ने बताया कि
जब कभी किसी ने किसी से प्यार करके
उसे जताने की कोशिश की
तभी उसने पहली बार ऐसा झूठ बोला
जो किसी सच से अधिक खूबसूरत था .

मुझे किसी ने बताया कि
झूठ के जरिये लिखी जाती रही हैं
सदा कालजयी प्रेम कथाएं
सच के नीले लिटमस पेपर पर तो
केवल अम्लता ही दर्ज होती है .

मुझे किसी ने बताया कि
झूठ प्रिज्म जैसा  होता  है
इसमें से उपजता है इन्द्रधनुष
सच का प्रभामंडल पारदर्शी होता है  
उसमें से कोई अक्स नहीं उभरता  .

मुझे किसी ने बताया कि
झूठ समय की शिला पर घिसते घिसते
सच जैसा आकार पा जाता  है
सच इतना सख्तजान  होता है
जहाँ है जैसा है पड़ा रहता है .

मुझे किसी ने बताया कि
झूठ न होता तो
दुनिया में एक भी कविता न होती
सच कभी किसी के लिए  
अभिनव रचने  की जिद नहीं  बनता  .

मुझे किसी ने बताया कि
झूठ के पास उम्मीद है
एक दिन सच में तब्दील हो जाने की
लेकिन सच का अहंकार
उसे टस से मस नहीं  होने देता  .

मुझे किसी ने बताया कि
जिंदगी को बिंदास जियो
झूठ और सच से इतर भी
एक भरीपूरी दुनिया है .
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शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

हमारे तुम्हारे बीच


हमारे तुम्हारे बीच
जब कोई सहमति नहीं थी
तब हमारे दरम्यान
बहती थी गीली हवा
देह को  बड़ी एहतियात से छूती .
तब हम अपनी निशब्दता में
किस कदर बतियाया करते
अधर स्थिर रहते
और चुम्बन की गर्माहट
सीधे दिल में उतर आती .
तब हमारे पास था कितना कुछ
अपनी ख़ामोशी में
लगातार सुनने सुनाने को
मन के भीतर बजती थी जलतरंग
निजता में निरंतर संलिप्त  .
तब हम चहलकदमी करते हुए
पहुँच जाते  क्षितिज तक
और तुम एड़ियों पर उचक कर
अपनी अंजुरी में भर लेती थीं
इन्द्रधनुष के सारे रंग .
तब हमारे पास थी फुर्सत
उन्मुक्त  कवितायें
मस्त हवाओं के साथ
कामनाओं के जंगल में
नाचने का उतावलापन  .
अब जब हमने बना लिया
अपनी देहों के बीच कामनाओं  का पुल
देखते ही देखते बहने लगी
एक चिड़चिड़ी नदी हमारे पैरों तले
सब्र और पुल का इम्तेहान लेती .

मोची राम

छुट्टियों में घर आए बेटे

बेटे छुट्टियाँ पर घर आ रहे हैं ठण्ड उतरा रही है माहौल में   धीरे-धीरे खबर है , अभयारण्य में शुरू हो चली है लाल गर्दन वाले बगुलों की आम...