मंगलवार, 12 मार्च 2013

मेरा नाम



मेरा नाम मेरा नाम है बस
न इससे अधिक कुछ
न इससे कम
एकदम पारदर्शी
इसमें मेरा अक्स तुम्हें
ढूंढें न मिलेगा .

अनेक अन्वेषी आये
मेरे नाम में
मेरी शिनाख्त तलाशते
और चले गए निराश
सर खुजाते .
मैं वहां था ही नहीं
उनको मिलता कैसे ?

मेरा नाम हो या किसी का भी
एक सूनी सडक है
जहाँ दिशा बोध की
हमारी सारी पारंपरिक समझ
गडमड हो जाती है .

मेरा नाम और बहुत से नामों की तरह
किसी बाजीगर की पोटली में
तमाम ऊलजलूल चीजों की तरह
सदियों से बेमकसद पड़ा है
इसके बावजूद नाम का तिलिस्म है
कि टूटता ही नहीं .

मेरा नाम यदि तुम्हें याद हो
तो एक बार वैसे ही पुकारो
जैसे कभी राजगृह त्याग कर जाते 

सिद्धार्थ  को यशोधरा ने 
अपनी नींद के बीच
निशब्दता में पुकारा था
मैं अपने नाम को 

उसकी अर्थहीनता में
फिर से याद रखना चाहता हूँ .

शुक्रवार, 8 मार्च 2013

आवाजें


मुझे पता है
आवाजें कभी लौट कर नहीं आती
वहां तो कतई नहीं
जहाँ उनको पकड़ने के लिए
आतुरता जाल बिछाये बैठी हो .

आवाजें अराजक होती हैं
उन्हें पुराने घर
बासी चेहरे
इंसानी फितरत
और बीमार रवायतें
जरा भी पसंद नही

मेरे सपने


मेरी आँखों के ककून में
सपने कभी नहीं टिकते
उनके पंख निकल आते हैं
तो तितली बन उड़ जाते हैं
सच तो यह है
मेरी आँखों को सपने सहेजने का
सलीका कभी नहीं आया .

गुरुवार, 7 मार्च 2013

नींद

नींद
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मुझे नींद चाहिए
एकदम नकद मेहनत से कमाई हुई
किसी भिखारी के कटोरे में पड़ी
हिकारत के सिक्कों के तरह मिली नहीं
किसी रसायन के रहमोकरम से उपजी
आधी अधूरी नींद भी नहीं
मुझे नींद अपनी शर्तों पर चाहिए
वह मिले तो मिले
नहीं तो जागते रहने की जिद के साथ
मर जाने में आखिर हर्ज क्या है ?

मोची राम

छुट्टियों में घर आए बेटे

बेटे छुट्टियाँ पर घर आ रहे हैं ठण्ड उतरा रही है माहौल में   धीरे-धीरे खबर है , अभयारण्य में शुरू हो चली है लाल गर्दन वाले बगुलों की आम...