शनिवार, 5 सितंबर 2015

चुप रहो ......

चुप रहो चुपचाप सहो
समझ जाओ जो चुप रहेंगे वे बचेंगे
बोलने वालों को सिर में गोली के जरिये
सुराख़ बना कर मार डाला जायेगा
खामोश रहने वालों को
करीने से जुल्फें संवारने के लिए
रत्नजडित सोने के कंघे दिए जायेंगे.

चुप रहो चुपचाप सहो
अपने अपने बैडरूम में रह कर
क्रांति का ब्लूप्रिंट बनाओ
दिन रात अपने मंतव्यों के
कनकौए आसमान में उड़ाओ
ऐसे लोगों को खोज खोज कर
सुनहरे फ्रेम वाले बेशकीमती चश्मे दिए जायेंगे.
चुप रहो चुपचाप रहो
लेकिन बोलने का नाटक लगातार करो
रीढ़ की हड्डी निकाल कर रख दो
ड्राइंगरूम के शोकेस में
वह वहीँ रखी जंचती है
लचीलापन की बड़ी जरूरत है इस वक्त
समयानुकूल घडियां कलाई पर बाँधी जाएँगी.
चुप रहो चुपचाप सहो
वह कन्नड़ वाला मरा
जो अपनी गडबड भाषा में
न जाने क्या लिखता था वाही तबाही
तोल तोल कर प्रेमगीत गीत लिखो
जग को रिझाने के लिए
राजसी मुहर वाले दिव्य कवच मिलेंगे .
चुप रहो चुपचाप सहो
अपने मौन का भीतर ही भीतर मजा लो
तुम्हारी चुप्पी को कोई अन्यथा नहीं लेगा
यह बात एकदम पक्की है
इतिहास सिर्फ नादानी में जान गंवाने वालों की
मूर्खता अपने पन्नों में दर्ज करता है
प्रशस्ति तुम्हारी है तुम्हें मिलेगी .
चुप रहो चुपचाप सहो
सीने से लगा कर रखो
अपने अपने इनाम इकराम को
इन्हें संभाल कर रखो
ये रहेंगे तो तुम सब जिंदा रहोगे
तुम अमरबेल के वंशज हो
मौत तुम्हें किसी भाव न मिलेगी.
चुप रहो चुपचाप सहो
और सुनना है तो मेरी सुनो
ख़ामोशी और चालाकी की
कोई पॉलिटिक्स नहीं होती पार्टनर
चुप रह जाने वाले कापुरुष को
कोई दर्द नहीं सताता
वे जीते जी ,बेमौत मर जाते हैं .

1 टिप्पणी:

  1. आदरणीय श्री निर्मल जी आपकी रचनाओं को पढ़ कर बहुत ही लगा । आपकी रचना का प्रत्येक शब्द बहुत ही भावुक एवं अर्थपूर्ण होता है सीधे सीधे दिल की गहराइयों में उतर जाता है

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मोची राम

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