सोमवार, 17 अप्रैल 2017

आनायास कुछ नहीं होता

कभी कुछ अनायास नहीं होता
न बीज धरती में स्थ होता है
न पंछी एक डाल से दूसरी डाल की ओर
उडान भरते हैं
न किसी लड़की के गाल
प्यार ,अपमान,तिरस्कार या गुस्से से
लाल भभूका हो तमतमाते हैं.

कभी कुछ हरदम मनचाहा नहीं होता
न सांस तयशुदा तरीके से चलती है
न शिराओं में उत्तेजना का रक्त बहता है
न केवल चाह लेने भर से
देह में सिहरन सी उठती है
न कोई आहट आकार ग्रहण करती है.


कभी कुछ सही समय पर याद नहीं आता
होठों पर मुस्कान पहले आ जाती है
वजह अनुमान की ओट में रह जाता  है
उन्माद दिल में धडकने लगता है
मुस्कराहट  की गहरी परत के पीछे का अतीत
अपनी भनक तक नहीं लगने देता.

कभी कुछ योजनाबद्ध तरीके से नहीं होता
समय कभी कदमताल नहीं करता
बीतने का बावजूद ढेर सा वर्तमान
बचा रह जाता है वक्त की परिधि के बाहर
कामनाओं  के लिपेपुते चेहरो पर 
उम्र की शिनाख्त अनचाहे ही सही
बार बार हस्ताक्षर बनकर उभरती  हैं.

अनायास फिर भी कितना कुछ बीत जाता है
किसी के आने जाने की पदचाप तक सुनाई नहीं देती.



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मोची राम

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