सोमवार, 17 सितंबर 2018

चंद छोटी -छोटी कविताएँ

कोई कहीं
घुमाती होगी सलाई
रंगीन ऊन के गोले
बेआवाज़ खुलते होंगे
मरियल धूप में बैठी
वह बुनती होगी
एक नया इंद्रधनुष 
यह लड़कियां
कितनी आसानी से उचक कर
पलकों पर टांग लेती हैं
सतरंगे ख्वाब।



कविता -2 
बैग पैक करते हुए
उसने हवाओं से कहा
शायद आखिरी बार
तो अब?
इस जवाब सादा था 
पता था हमें
कहना बड़ा मुश्किल
अलविदा ..
दुनिया का सबसे अधिक
जिंदा जावेद और जटिल लफ्ज़ है।

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मोची राम

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