शनिवार, 24 अप्रैल 2021

मरता हुआ आदमी




कोविड वार्ड में मरणासन्न आदमी
किसी चमत्कार का इंतजार नहीं करता
वह नहीं देखता नीम बेहोशी में
भविष्य का  कोई सपना
अतीत की दुनिया  में पाता है वह
दर्द से परे आनन्द से लबरेज अदद निरोगी परकाया.

कोविड वार्ड में मरणासन्न आदमी
हताशा से परे अन्वेषित कर लेता है
किसी ड्राईक्लीन की दुकान पर बरसों पहले गुम हुई
अपनी पसंदीदा ढेरों जेब वाली
हल्के हरे रंग की पतलून जैसी उम्मीद
हालांकि अब इस तरह की पोशाक
मसखरे भी नहीं पहनते आजकल.

कोविड वार्ड में मरणासन्न आदमो
किसी गैस या इंजेक्शन के आने की खबर पा
अविश्वास से पलक नहीं झपकाता
अविचल छत में लगे पंखे को
बड़े इत्मिनान से घूरता है
उसकी देह वेंटिलेटर से हटे
मरने के लिए वोटिंग में पड़ा
कोई और बन्दा आगे बढे.

कोविड वार्ड में मरणासन्न आदमी
जिंदा मुर्दा के आंकड़े से बाहर है
अब उसे कहीं आने-जाने की
कोई जल्दबाज़ी नहीं
समीपस्थ शमशान में सुलगती गीली लकड़ियों का
धुंआ ही धुआं भरा है.

कोविड वार्ड में मरणासन्न आदमी
धीरे धीरे अपनी देह से बाहर जा रहा है
उसकी मृत्यु का घोषणापत्र कम्प्यूटर में है
रिक्तियों के बीच उसकी शिनाख्त की पूर्ति हो तो
वह अंततः बाकायदा मरे
ढंग से मरने में भी लाखों अड़ंगे है

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मोची राम

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