बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

मेरे होने के मायने


मेरे न होने पर
कुछ नहीं बदलेगा
सब कुछ वैसा ही रहेगा
सब कुछ वैसा ही चलेगा
न सूरज अपने उगने की
दिशा बदलेगा
न चाँद अपनी कलाओं में
कोई हेरफेर करेगा .
और तो और नुक्कड़ वाला
मेरा दुकानदार मित्र
मुझसे वक्त ज़रूरत कर्ज मिल जाने की
उम्मीद मिट जाने के बावजूद
बदस्तूर दारू पीता रहेगा .

मेरे न होने पर
घर के बाहर लगे
गुलमोहर की पत्तियों का रंग
चटख हरा ही रहेगा
उनका रंग एक पल को

दिखावे में ही सही
पीला नहीं होगा
न उसके सुर्ख फूलों के रंग जर्द पड़ेंगे .

मेरे न होने पर
भरी दोपहरी में
हरदम तीखी आवाज़ में बतियाती
सेवन सिस्टर्स का बालकनी में
रखे गमलों के इर्द गिर्द
पंचायत लगाना बंद नहीं होगा .

न मेरे घर का रास्ता भूल चुकी 
गौरेया  का पुनरागमन होगा .

मेरे न होने पर
बडके का बात बात पर तुनकना
छोटे का दिन चढ़े तक सोते रहना
पत्नी का काम पर जाते हुए
घर के भीतर कुछ भूल जाने पर
वापस लौट कर आना
फिर खुद बंद किए ताले को
अविश्वास से निहारना बंद नहीं होगा .

मेरे न होने पर
चंद दोस्तों को क्षणिक बैचैनी होगी
जब वे अपने मोबाइल से
मेरा नम्बर डिलिट करेंगे
उन्हें अपनी ऊब से उबरने के लिए
किसी नए नम्बर को फीड करना होगा .
मेरे तमाम शुभचिंतकों का
मेरी उन्मुक्त हो चुकी रूह को
मशविरा देना बंद नहीं होगा .

मेरे न होने पर
बदलते मौसमों की हठधर्मिता पर
जरा भी फर्क नहीं पड़ने वाला
आवारा शोहदों का
सड़क से गुजरती लड़कियों पर
फब्तियां कसना यूंही चलेगा
फेसबुक और ट्विटर पर
वक्तकटी का कारोबार बंद नहीं होगा .

मेरे न होने पर
जब कुछ नहीं बदलने वाला
तब मुझे अपने होने के मायने को
नए सिरे से खंगालना है
ताकि मेरे बाद अन्यत्र कारणों से 
किसी को मेरी याद न आये .

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मोची राम

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